प्रेम जाल
मलखान सिंह जी का देव्पल जी के पास फोन आता है जिससे सब परेशान हो जाते हैं अब आगे••••••••••
मलखान जी-देवपाल जी मैंने नम्रता की घर जाकर फोटो दिखा दी थी। और उसके बारे में मैंने सब कुछ घर में बताया। मेरे परिवार को भी आपकी बेटी बहुत पसंद आई है। लेकिन एक ही समस्या है?? मेरी बहू का कहना है कि लड़की के कोई भाई नहीं है।इधर हमारा पोता भी अकेला है।उसके भी कोई भाई नहीं है बहन उसकी शादी हो चुकी है। मेरी बहू का कहना है कि मेरा बेटा तो अकेला ही रह जाएगा लड़की के कोई भाई होता तो थोड़ा भारी-भरकम प्रतीत होता है।भगवान ना करे कोई परेशानी आए तो दोनों रिश्तेदार मिलकर उसे समस्या का समाधान कर लेते हैं।
ऐसे में हमारा मोहित अकेला पड़ जाएगा इसीलिए मुझे माफ कीजिए हम यह बात आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।
देवपाल जी चुपचाप उनकी सारी बातें सुनते रहे फिर फोन रख दिया। और बहुत देर के लिए सुन्न होकर बैठ गए।
माया जी-अरे क्या हुआ?? आप ऐसे शांत क्या हो गए? मलखान सिंह जी ने क्या कहा? हमारी बेटी के बारे में? माया जी अपने पति कुछ ना बोलते हुए देख थोड़ा परेशान सा हो गई।
फिर फटाफट भाग कर उनके लिए पानी लेकर आई और उनको पानी पिलाया।
देवपाल जी-माया हमारी किस्मत ही खराब है इतना अच्छा रिश्ता आया था। और वह हमारे हाथ से निकल गया। भगवान ने हमें अगर एक बेटा दिया होता, तो आज यह रिश्ता बच जाता। और फिर उन्होंने सारी बात बताई।
माया जी भी सुनकर बहुत परेशान हो गई। उन्हें लगा अभी तक तो पति ही उनको ताना मारते थे? आज पराये व्यक्ति ने आकर बेटा ना होने की वजह से उनको अपमानित कर दिया।
दोनों ऐसे चुपचाप बैठे थे जैसे लग रहा था कि आसमान से बिजली टूटकर उन दोनों पर गिर गई हो।
शेरी-मम्मी क्या हुआ? क्या बात है ??आप दोनों ऐसे क्यों बैठ गए हैं दीदी इधर आओ। नम्रता भी कमरे में आ जाती है।
नम्रता-क्या हुआ?मम्मी ऐसे क्यों परेशान बैठे हो? बताओ तो सही? फिर माया जी ने की सारी बात बताती हैं।
नम्रता-अरे तो क्या हो गया? इतना परेशान क्यों हो रहे हो आप लोग?? उन्होंने रिश्ता तोड़ दिया तो क्या मेरी शादी नहीं होगी क्या?इस तरह की पुरानी दकियानूसी बातों में फंसे हुए लोग हैं। बेटा- बेटी के किसी के हाथ में होता है???
अच्छा है उस घर में मेरा रिश्ता नहीं हुआ। ऐसे रूढ़िवादी लोगों के घर मुझे शादी करनी भी नहीं थी। ऐसी बातों से उनकी एजुकेशन पता लगती है। पापा मैं ऐसे घर में कभी सुखी नहीं रहती।
अच्छा हुआ उन्होंने अपनी तरफ से ही बात खत्म कर दी। वर्ना मैं खत्म कर देती। जमाना कहां से कहां तक पहुँच रहा है। हम आज भी वही लड़का लड़की में फंसे हुए हैं। भगवान के लिए अपना मुंह ठीक करो।
मेरी अभी उम्र नहीं निकल गई है। और निकल भी जाएगी तो कोई बात नहीं। मुझे अभी आगे पढ़ाई भी करनी है और जॉब भी करनी है।मुझे इन चक्करों में अभी नहीं फंसना।
नम्रता अपने पैर पटकती हुई कमरे से बाहर चली गई। माया जी भी कमरे से उठकर चाय बनाने चली गई। नम्रता अपना मोबाइल लेकर छत पर चली गई।
नम्रता दीपक को फोन मिलाती है। फोन की बेल बज रही थी।थोड़ी ही देर में दीपक ने फोन उठा लिया। दीपक-हेलो हां जी कैसी हो? नम्रता--चलो तुम पार्टी कर लो। और जोर से हंसने लगी😀😀 दीपक-अरे क्या हुआ? नम्रता-वही जो तुम तीन दिन पहले परेशान हो रहे थे।वह रिश्ता खत्म हो गया और उसने सारी बात दीपक को बताई। दीपक-सही है यार अब तो पार्टी बनती है। मूवी का प्लान बनाते हैं।
नम्रता-ठीक है जिस दिन भी मुझे दो दिन की छुट्टी मिलेगी उस दिन फिर चलेंगे अच्छा सुनो मम्मी-पापा का मूड ठीक नहीं है ।मैं उनके पास जाती हूं। और उनका मूड ठीक करती हूं और यह क्या कर फोन रख देती है।
नम्रता पर्स उठाकर घर से बाहर निकल जाती है माया जी पूछती है कहां जा रही हो? अभी आ रही हूँ कुछ याद आ गया था वह लेने जा रही हूं नम्रता कहती है।
फटाफट हलवाई की दुकान पर पहुंच जाती है। वहां से गरम- गरम जलेबी और समोसे पैक कराती है।और रिक्शा लेकर घर पहुंच जाती है।
नम्रता-भाई सारे आ जाओ गरम -गरम समोसे और जलेबी खाते हैं आज रात का खाना कैंसिल कर दो। मम्मी-नम्रता यह क्या बचपना है?
नम्रता' अरे मम्मी छोड़ो ना जो हो गया उसको भूल जाओ नई शुरुआत करो और सबके लिए प्लेटों में समोसे और जलेबी डाल कर दे देती है उधर शेरी फटाफट चाय ले आती है।
माया जी-अरे रुको तुम लोगों को तो खाने की पड़ जाती है समोसा और जलेबी उठा कर दो और जाकर गोपाल जी को भोग लगाओ।
नम्रता -वेरी गुड मम्मी यह हुई खूबसूरत शुरुआत और सभी हंसने लग जाते हैं फिर समोसे और जलेबी का मजा लेने लगते हैं।
नम्रता-पापा मैं सोच रही हूँ।कि एक एक्टिवा ले लेती हूँ। फिर बस और रिक्शे का झंझट खत्म हो जाएगा । और इस बहाने शेरी भी एक्टिवा चलानी सीख जाएगी।
देवपाल जी-ठीक है बेटा दो चार दिन रुक जा फिर चलते हैं।
नम्रता-पापा मैं चाहती हूँ मैं अपनी सैलरी से एक्टिवा खरीद लू। तो बैंक से फाइनेंस कर लेते हैं और फिर वह धीरे धीरे हर महीने मेरे बैंक से पैसे कटते रहेंगे।
देवपाल जी-अरे बेटा तू अपना पैसा क्यों खर्च कर रही है। इस पैसे को जोड़,आगे तेरे काम आएगा।
नम्रता'-कोई नहीं पापा मैं पैसा जमा भी कर लूंगी। आप परेशान ना हो। यह तो काम की चीज है आगे भी मेरे काम आ सकती है।
देवपाल जी-चल ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी दो चार दिन में चलूंगा। फिर सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर लेंगे।
थोड़ी देर में लाइट चली जाती है। लाइट जाने का सिलसिला तो यहाँ रोज का था। 2 घंटे लाइट जानी जरूरी थी।
शेरी-दीदी चलो छत पर चलते हैं। दोनों बहने छत पर चली जाती है। देवपाल जी चेयर डाल कर ऑगन मे बैठ जाते हैं।
माया जी वही जाकर सुबह के लिए सब्जी काटने लगतीं हैं।लेकिन अभी भी दोनों परेशान थे।
क्या दीपक नम्रता से शादी बात करेगा? वो लोग घूमने कहाँ जायेगे ? जानने के लिए आगे पढ़ते रहिए??
Varsha_Upadhyay
30-Sep-2023 09:00 PM
Nice one
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